>Yeh sundar kavita har rishtey k liye sahi hai:- मैं रूठा, तुम भी रूठ गए फिर मनाएगा कौन ?
आज दरार है, कल खाई होगी फिर भरेगा कौन ?
मैं चुप, तुम भी चुप इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन ?
बात छोटी को लगा लोगे दिल से, तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ?
दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर, सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन ?
न मैं राजी, न तुम राजी, फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन ?
डूब जाएगा यादों में दिल कभी, तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ? एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी, इस अहम् को फिर हराएगा कौन ?
ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए ?
फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन ?
मूंद ली दोनों में से अगर किसी दिन एक ने आँखें.... तो कल इस बात